Maa Shri Kaushal ji Udhyodhan

पूज्या मां श्री के चरणों में बारंबार वंदन ... 

सभी को सादर जय जिनेंद्र

आज के उद्बोधन में मां श्री जी ने बताया कि रोग तीन प्रकार के होते हैं ( शारीरिक,मानसिक, आध्यात्मिक) तीनो के लिए अलग अलग चिकित्सकों की आवश्यकता होती है आध्यात्मिक रोग अर्थात क्रोध, मान,माया,लोभ। जिस प्रकार सभी रोगों के लिए उसके चिकित्सक होते है उसी प्रकार आध्यात्मिक चिकित्सक वो होते हैं जिनके अंदर ये रोग नही होते ,जिन्हे देखकर अंतरंग से क्रोध आदि के भाव खत्म हो जाते हैं । चहरे पर सौम्यता आ जाती हैं मन प्रसन्नता से भर जाता हैं।ऐसे चिकित्सक ही मंदिर के भगवान होते हैं मंदिर में जाते ही सब विकार स्वयं नष्ट हो जाते हैं।उसके बाद मां श्री जी ने दर्शन की विधि बताई -अंजुली मुद्रा मैं भगवान को मुस्कुरा कर नमस्कार करें| अपनी शारीरक शक्ति अनुसार, नमस्कार ३ प्रकार से किया जा सकते है - 

  1. आष्टांग नमस्कार, इसमें अपने सभी आठ अंगों को ज़मीन पर छूते हुए सपाट लेटना होता है और आठों अंग ज़मीन को छूते हैं।
  2. पंचांगम नमस्कार, इसमें हथेलियाँ जोड़कर, घुटने टेककर, सिर झुकाकर नमस्कार  करना| 
  3. त्रिवंगम, दोनों हाथों को सिर के ऊपर उठाकर सिर झुकाना|

हम मंदिर जी में जाकर सिर्फ हाथ जोड़ कर मंत्र आदि पढ़कर आ जाते हैं कभी दर्शन तो किए ही नही । दर्शन का अर्थ होता हैं सिर्फ देखो बोलो मत। तो जिस समय हम दर्शन करे उस समय कोई मंत्र आदि न पढ़े सिर्फ भगवान की ओर देखे बिना किसी विचार के, कम से कम 2 मिनट तो देखे। देखते देखते मूर्ति खो जाएगी और उसके भाव रह जायेंगे, और वही भाव आपके साथ रह जायेंगे, वही दर्शन हैं। मात्र देखना। आप महसूस करेंगे की भगवन की आँखें, नाक, ठोडी, घुटने या पैर के अंघूठे से तरंगे आप तक आ रही है| भगवान के दर्शन बिल्कुल उनके सामने से नहीं अपितु थोड़ा साइड से करने चाहिए| अब आप मन्त्र आदि पढ़कर, सामग्री चढ़ा सकते है| और फिर भगवान को निहारते हुए उनकी ३ बार परिक्रमा लगाए, क्योंकि उनका आभा मंडल उनके चारो और रहता है| मुकुल जैन जी के प्रश्न की जब हम मंदिर में आते हैं तो बहुत सारे विचार आते ही हैं इस पर मां श्री जी ने कहा कि मन सांस के साथ भागता हैं सांस चंचल होती हैं तो मन भी चंचल होता हैं सांस को रोककर देखो चाहे आधा मिनट ही .... सबने ऐसे करके देखा तो मन नही भागा। मां श्री जी ने कहा की चाहे आधा मिनट ही करो मगर दर्शन करो और ये सब अभ्यास से ही होगा।आगे के चरण में हमे और सीखने को मिलेगा इसी भाव से सब अगली बैठक में अवश्य आए। 🙏🏻🙏🏻🙏🏻

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