Maa Shri Kaushal ji Udhyodhan

पूज्या मां श्री के चरणों में बारंबार वंदन ... 

सभी को सादर जय जिनेंद्र

धर्म क्या है, जो अपना और दूसरों का उद्धार करें| जो इस सांसारिक जीवन से हमें मुक्त करने में मदद करें
जैन धर्म में हम रामजी, हनुमान जी, इन सबको भी मानते हैं, लेकिन फर्क इतना है कि हम योगी  राम की पूजा करते हैं, ना कि भोगी राम की| राम ही नहीं, जो भी इस मोक्ष मार्ग के रास्ते पर चलेगा हम उसको पूजेंगें 
भाव हिंसा चार प्रकार की होती है -

१. औद्योगिक - व्यापार करते हुए जो हिंसा हो, जैसे कि अनाज भरते हुए, फैक्ट्री चलाते हुए, वह औद्योगिक हिंसा होती है| 

२. आरंभिक - घर गृहस्ती के कार्य करते हुए जो हिंसा हो जाए, जैसे की झाड़ू लगाते हुए, खाना पकाते हुए

३. विरोधी - अपनी रक्षा करते हुए जो हिंसा हो जाए वह विरोधी हिंसा होती है| इसमें माँ श्री जी कहती हैं की अगर अपने बचाव में हमें शस्त्र भी उठाना पड़े तो श्रावक को संकोच नहीं करना चाहिए

४. संकल्पिक - जो हिंसा संकल्प लेकर की जाए या फिर यूं कहे कि जो हिंसा प्लान करके की जाए जैसे की किसी का शिकार करना, वह संकल्प हिंसा होती है
इन चारों में से श्रावक को सबसे ज्यादा पाप संकल्प हिंसा का लगता है क्योंकि बाकी हिंसा वह जान बूझकर नहीं करता
फिर माँ श्री जी ने विरोधी हिंसा से बचने का उपाय बताया | अगर कोई साधु या श्रावक किसी जंगल में बैठकर ध्यान लगाएऔर उस वक्त कोई जानवर उसको क्षति पहुंचाने आए तो उसके बचाव के लिए हम अपने चारों ओर एक शक्ति उजागर कर सकते हैं उसको करने का तरीका यह है कि हमेंओम णमो अरिहन्ताणं जिसमें 10 बीज़ अक्षर है उनका कमल की हर पंखुड़ी को सोचते हुए ध्यान करना होगा|  इसी तरह हमें ओम णमो सिद्धाणं  का ध्यान करना चाहिएऔर यह हमें तब तक करना चाहिए जब तक वह शक्ति विकसित नहीं हो जाती| अगर एक बार यह शक्ति विकसित हो गई तो उसके बाद कोई भी विरोधी आपको हिंसा नहीं पहुंच पाएगा जैसे ही वो उसे शक्ति दायरे में आएगा या तो उसके विचार बदल जाएंगे या वह शक्ति दायरे में आ ही नहीं पाएगा|
आखिर में मां श्री जी ने जीवन के तीन सिद्धांत बताए जो हमेशा याद रखने चाहिए - 

१. बात करनी बंद न करना

२. भगवान को कभी दोष नहीं देना 

३. मरने की नहीं सोचना 

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