पूज्या मां श्री के चरणों में बारंबार वंदन ...
सभी को सादर जय जिनेंद्र
प्रिय साथियों ऋषभांचल युवा संगम की जुलाई माह की प्रक्षाल एवं मीटिंग पूज्य मां श्री के सान्निध्य मे आज बहुत अच्छी तरह से संपन्न हुई ।
पूज्य मां श्री ने आज बताया की किसी भी विद्या को सीखने के लिए जानने के लिए तीन चीज आवश्यक हैं , सबसे पहले वो जो उस विद्या में निपुण हो ,इस विद्या का सर्वज्ञ हो और उन्हें हम कहते हैं देव । फिर जो उस विद्या का अनुसरण कर रहा हो अनुभवी हो और दूसरों को सिखाए उन्हें कहते हैं गुरु ।फिर तीसरा उस विद्या का साहित्य , जिसे हम कहते हैं शास्त्र । तो तीन चीज जो हमें किसी भी विद्या को सीखने के लिए चाहिए वो हैं देव ,गुरु और शास्त्र । अब हम कौनसी विद्या सीखना चाहते हैं , हम सीखना चाहते हैं वो विद्या जो सच्चा सुख दे ना की सिर्फ सुख का आभास मात्र । और कौन इस विद्या में निपुण हैं, तो वह हैं वीतरागी, सर्वज्ञ , हितोपदेशी देव । जो वीतरागी हैं मतलब संसार में उपलब्ध सभी चीजों के बावजूद उन्हें किसी भी चीज से राग नहीं हैं , भय रहित हैं साथ में कोई शस्त्र नहीं हैं कोई अस्त्र नहीं हैं ,सब कुछ जानने वाले सर्वज्ञ , सबको बिना किसी स्वार्थ के हित का उपदेश देने वाले हितोपदेशी ही हमारे देव हैं । उपस्थित नोएडा से आए एक भाई की जिज्ञासा शांत करते हुए मां श्री ने बताया हम मूर्ति को प्रणाम नहीं करते हम पाषाण को नहीं पूजते अगर ऐसा होता तो हम जगह जगह पत्थर पूजने लगते , हम प्रतिमा को पूजते हैं उनके अंदर अंकित भावो से , जब प्रतिमा को प्रतिष्ठित किया जाता हैं अर्थात मंत्रो से प्रतिमा के वाइब्रेशन को दूर अरिहंत के वाइब्रेशन के साथ जोड़ दिया जाता हैं तब वह प्रतिमा पूजनीय हो जाती हैं और तरंगों का बहाव ऊपर से नीचे की तरफ होता है तो जब हम प्रतिमा के सामने झुकते हैं तो वह तरंगे हमें प्राप्त होती हैं और इस प्रकार वह प्रतिमा चार्जेबल बैटरी बन जाती है।
आज बहुत ही सौभाग्य था कि मासी के अनमोल वचनों के साथ हमें दिल्ली से आए ऋषि भैया के भी उद्बोधन सुनने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ ऋषि भैया ने बहुत ही अच्छी प्रकार से दिनों को धर्म के मूल लक्षण समय दर्शन ज्ञान चरित्र से जोड़कर सबको समझाया उन्होंने कहा पहला दिन होता है एतबार इतवार तो ऐतबार का मतलब होता है विश्वास तो सबसे पहले हमें जैन धर्म जिनागम पर पूरा श्रद्धा करना पड़ेगा जिससे कि हमें सम्यक दर्शन प्राप्त होगा और एक बार जो सम्यक दर्शन प्राप्त हो गया तो सोमवार को हम स्वयमेव सौम्य हो जायेंगे, और जब सम्यक दर्शन हो जाएगा और सौम्यता हमारे जीवन में आजाएगी तब हमारा मंगल ही मंगल होगा और जब मंगल होगा तो हमें ज्ञान प्राप्ति की भी अभिलाषा होगी तो हमारी बुद्धि जागृत होगी फिर हमें ज्ञान प्राप्त करने के लिए हम सच्चे गुरु की तलाश करेंगे और उनकी शरण में जाएंगे और जब गुरु का आशीर्वाद हमें मिल जाएगा गुरु हम पर शुक्रगुजार हो जाएगा तो शनि भी हमारा क्या बिगाड़ पाएगा।
मां श्री तो हमेशा ही बच्चों को को कठिन से कठिन विषय भी इतनी सरलता से समझ आती हैं कि उसकी सारी बातें बच्चों की समझ में अच्छी तरह आ जाए आज सोने पर सुहागा यह हुआ कि ऋषि भैया ने भी बहुत ही अच्छे ढंग से हमें मुख्य बातें समझाई। अरिहंत पाठ के साथ आज की मीटिंग संपन्न हुई।
Shri Rishbhanchal Dyan Yoga Kendra
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