पूज्या मां श्री के चरणों में बारंबार वंदन ...
सभी को सादर जय जिनेंद्र
आज के उद्योधन में माँ श्री जी ने बताया की धर्म जीने की कला है, धर्म का मतलब किसी भगवान को खुश करने से नहीं है| मुस्लिम धर्म में कहा जाता है कि अगर अच्छा कार्य करोगे तो जन्नत मिलेगी और अगर गलत कार्य करोगे तो दोजख़ में जाओगे| सनातन धर्म में भी कहा जाता है कि अगर अच्छा कार्य करोगे तो स्वर्ग में जाओगे और गलत कार्य करोगे तो नर्क में जाओगे| ईसाईयो में एक चलन है कि गलती करने पर वह कन्फेशन करते हैं कभी-कभी तो एडवांस में भी कन्फेशन कर लेते हैं कि हम गलती करने जा रहे हैं जबकि सोचने वाली बात यह है कि जब कोई बीच में मीडिया ही नहीं तो माफ़ कौन करेगा| धर्म सिखाता है कि हमें सभी जीवों की रक्षा करनी चाहिए क्योंकि हर जीव का इस ब्रह्मांड में अपना एक महत्व है तभी हम जैन धर्म में अहिंसा की बात करते हैं, जैसे एक फैक्ट्री में हर छोटे से छोटे पुर्जे का अपना महत्व होता है वैसे ही हर एक छोटे जीव का इस ब्रह्मांड में अपना एक महत्व है|
आज सब कुछ इंबैलेंस हो रहा है जिसके कारण वायु, जल, भूमि और वनस्पति सभी प्रदूषित हो रही है, वनस्पतियों को बहुत मात्रा में काटा जा रहा है उन्हें उगाने के लिए इंजेक्शन दिए जा रहे हैं और वायु प्रदूषण के कारण उगने से भी दिक्कत हो रही है| आज की वनस्पतियों में ताकत भी कम होती जा रही है| भारत एक समय चिकित्सा में दुनिया में नंबर एक पर था| नाड़ी देखकर बीमारी बता दिया करते थे| एक बार यूनान के एक गुरु ने अपने शिष्य को भारत जाकर चिकित्सा सीखने के लिए भेजा और कहा कि रास्ते में जब भी रुको तो सिर्फ कीकर के वृक्ष के नीचे ही रुकना लेकिन भारत आते आते उसका स्वास्थ्य बहुत बिगड़ गया, तब यहां के चिकित्सक गुरु से उसने कहा कि मुझे तो बस आप ठीक कर दो, चिकित्सा तो मैं बाद में भी सीख लूंगा, तो गुरु ने कहा कि तुम अपने देश यूनान लौट जाओ लेकिन ध्यान रहे कि रास्ते में जहां भी रुको तो बस पीपल के पेड़ के नीचे ही रुकना| कीकर ऊर्जा लेता है और पीपल ऊर्जा देता है इसीलिए उसको पूजा जाता है| हम सबको भी अपने घरों में पौधे लगाने चाहिए| पहले लोग अपने आंगन में लगे पेड़ के नीचे एक साथ बैठा करते थे लेकिन अब ए.सी. में बैठा करते हैं| अगर आप पेड़ के पास बैठ जाएं और उससे अपना कनेक्शन बना ले तो वह अपने वनस्पतियों का रहस्य खोल देता है, संजीवनी बूटी लाते वक्त हनुमान जी ने भी ऐसा ही किया था| माँ श्री जी आगे बताया की, पांच तरह के जीव होते हैं - वनस्पति, वायु, जल, अग्नि और पृथ्वी काये जीव| वैज्ञानिक केवल वनस्पतियों में ही जीवन खोज पाए हैं बाकियो में खोज जारी है| जैसे नदी एक जीव है उसका भी जन्म होता है और मृत्यु होती है कभी बद्रीनाथ जाकर देखो की नदी भीमकुंड से कैसे जन्म लेती है, नल में जो पानी आता है वह जल का मृतक रूप है| जो जमीन के अंदर खाने होती हैं उसमें से जो पदार्थ निकलते हैं जैसे की कोयला, कॉपर, पन्ना, मानिक यह सब पृथ्वीकाये जीव के मृतक शरीर ही तो है| खान एक पृथ्वी काये जीव है, जीवंत रूप है, उसका आकार बिल्कुल गर्भ के सामान होता है| यह टेबल एक वनस्पतिकाये जीव का मृतक रूप है| किसी भी जीव का बहुतायत में इस्तेमाल करने से वह खत्म हो जाती है, जैसे अगर कोयले की खान से सारा कोयला निकाल लो तो वह खान ख़तम हो जाती है| इसीलिए उनमे से धीरे धीरे कोयला निकाला जाता है क्योंकि उसमें वह गुण होते हैं जिसेसे कोयला बनता है| ऐसे ही किसान भी सारा अनाज नहीं खाते और ना ही बेचते बल्कि कुछ हिस्सा बचा लेते हैं जिससे उन बीजों से दोबारा अनाज उगा सके| एक बीज का, एक पेड़ से भी ज्यादा महत्व होता है| आजकल सोलर पैनल के माध्यम से हम सौर ऊर्जा को संरक्षित करने का कार्य कर रहे हैं, हमारे शरीर में भी सौर ऊर्जा को संरक्षित करने की क्षमता हैऔर वह क्षमता हमारी नाभि के अंदर है| पहले के योगी, मुनि और तीर्थंकर नाभि के द्वारा सौर ऊर्जा खींचते थे और उसी ऊर्जा से वह जिंदा रहते थे इसीलिए नाभि को हिरण्यगर्भ भी कहा जाता है|
हर किसी जीव के चार गुण होते हैं - आहार, भय, मैथुन, और परिग्रह| आहार अपने को जीवित रखने के लिए, भय अपने को संरक्षित रखने के लिए, मैथुन अपनी संख्या को बढ़ाने के लिए| इन्ही सब बातों के जरिए मां श्री जी ने आज वैज्ञानिक एवं धर्म के दृष्टिकोण से समझाया कि हमें कैसे सभी जीवो की रक्षा करते हुए अपने जीवन को जीना चाहिए और धर्म को जीवन की जीने की कला में उपयोग करना चाहिए|
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